भगवान शिव को विनाशक क्यों कहा जाता है / why lord shiva is called as destroyer
हम आपको सनातन धर्म से जुड़े सभी बातें और कहानियां बताते हैं जिससे आप सनातन धर्म और इसकी संस्कृति को समझ सके | हमारे ब्लोग्स आपकी मदद करते है खुद को एक बेहतर इंसान बनाने में | हम आपको शास्त्रों और कई किताबों की वोह बातें बताते हैं जो आपको नहीं पता होगी या जिसके पीछे का विज्ञान आप नहीं जानते है |
आज से आप सभी के लिए मैंने एक नयी सीरीज शुरू
की है ब्लोग्स की जोकि आपको भगवत गीता के हर श्लोक को आचे से समझायेंगे और इससे
आपको बहुत ही ज्यादा अस्सानी हो जाएगी गीता को समझने में |
गीता की शुरुआत होती है जब ध्रितराष्ट्र संजय
से पूछते है की आखिर उनके बेटे और पांडवों के बेटे युद्ध क्षेत्र में क्या कर रहे है और इसपर संजय
उन्हें सारे लोगों के बारे में बताते है जोकि पांडवों और कौरवों की तरफ से युद्ध
कर रहे हैं | उसके बाद अर्जुन श्री कृष्ण से कहते है की वोह उनके रथ को यद क्षेत्र के बीच में लेकर जायें ताकि वोह अपने
सभी रिश्तेदारों को एक बार देख पाएं | और जैसे श्री कृष्ण ऐसा करतें है वैसे ही
अर्जुन भगवान से कहते हैं
हे
कृष्ण इन सभी लोगों को देख कर मेरे हाथ पैर कांप रहे हैं और मेरा मुह सूख रहा है
मेरे
हाथों से मेरा गाण्डीव छूट रहा है और, मेरे रौंगटे खड़े हो रहे हैं और मैं अपने
आपको
स्थिर
नहीं रख पा रहा हों |
अब यहओं पर अर्जुन के यह वाक्य हमें हमारे आस
पास के लोगों की तरह लग रहे है जोकि बात बात पर यही कहते रहते हैं की हम यह काम
नहीं कर सकते, हम वोह काम नहीं कर सकते | मुझे बहुत दर सा लग रहा है, मैं तोह यह कर ही नहीं सकता और मुझसे तोह यह
होगा ही नहीं और बहुत से लोह किसिस काम को यह कहकर ताल देतें हैं की यह करना तोह
पाप है और हमें यह काम नहीं करना चाहिए |
इन्ही सभी चीज़ों को सोच कर हम सभी हार मान लेते
हैं और कभी भी जीवन में कोई बड़ा फैसला नहीं ले पातें है | देखिये हम यहाँ पर यह
नहीं कह रहे हैं की हम में से किसी को भी दर नहीं लगता है और न ही मैं यहाँ पर कोई
पा करने को कह रहन हों मगर बहुत सी बैटन का एक्साम्प्ले देकर मैं आपको बताता हों |
जैसे की बोर्ड का पेपर देते वक़्त या कोई एग्जाम की तयारी करते वक़्त, देश के लिए
कोई फैसला लेते वक़्त, कोई अच काम करते वक़्त जोकि थोडा कठिन हो, इन सभी मौकों पर हम
सभी काफी ज्यादा घबरा जातें है और हार मान लेते हैं |
किसी भी काम को करने से पहले ही हम यह बात मान
लेते हैं की हम नहीं कर सकते, हम इस काम के लिए नहीं बने, हमसे यह नहीं हो सकता | जब
एलोन मस्क ने राकेट बनाने का सोच तब उन्हें कोई भी जानकारी नहीं थी की आखिर कैसे
राकेट बनता है मगर अपने घर पर ही किताबों का सहर लेकर उन्होंने राकेट साइंस की
पढाई करी और आज उन्होंने ऐसे राकेट सिर्फ अपने दम पर बना डाले जोकि बड़ी से बड़ी
स्पेस एजेंसी नहीं कर पाई | अब सोचिये जब एलोन मस्क ने अपने हथियार नहीं डालें तोह
आप लोग ऐसा क्यों करते | गीता का यह श्लोक हमें आज की युवा पीढ़ी की हालत को बताता
है की वोह कैसे हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं, भावुक हो जातें है, डर जातें हैं | अब इसपर कृष्ण भगवान अर्जुन को क्या जवाब
देतें है यह मैं आपको अगले ब्लॉग में कहूँगा |
तब तक के लिए आप कमेंट
कर दीजिये की आपको कैसा लगा यह ब्लॉग और मुझे सुझाव दीजिये की कैसे मैं आपके के
लिए आचे आचे टॉपिक्स पर ब्लॉग लिखूं |
धन्यवाद
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