भगवान शिव को विनाशक क्यों कहा जाता है / why lord shiva is called as destroyer
हम आपको सनातन धर्म से जुड़े सभी बातें और कहानियां बताते हैं जिससे आप सनातन धर्म और इसकी संस्कृति को समझ सके | हमारे ब्लोग्स आपकी मदद करते है खुद को एक बेहतर इंसान बनाने में | हम आपको शास्त्रों और कई किताबों की वोह बातें बताते हैं जो आपको नहीं पता होगी या जिसके पीछे का विज्ञान आप नहीं जानते है |
मैंने अपने पिछले ब्लॉग में आप सभी को अर्जुन
श्री कृष्ण से क्या कह रहे हैं वोह अबताया था और अब आज हम अर्जुन की बैटन में छुपे
हुए एक और सच और ज्ञान को समझेंगे | और उससे पहले आप मुझे कमेंट्स भी कर सकते हैं
की मुझे और आप सभी के लिए क्या लिखना चाहिए | आईये अब हम सभी गीता को समझते हैं |
अर्जुन अपने बात को पूरा करते हुए कहते हैं की
“ध्रितराष्ट्र
के पुत्रों को मार कर मुझे क्या मिलेगा और अगर इन्हें मार कर मुझे कुछ मिला भी तोह
भी मैं उसे स्वीकार नहीं करूंगा | मैं उन्हें
नहीं मरना चाहता, वे सभी मेरे भाई हैं सामने वाली सेना
में मेरे परिवार वाले हैं यह सभी लोग
लालच में और माया में फस कर अंधे हो गए हैं फिर भी मैं
इन्हें नहीं मरना चाहता | मैं अपने पितामह और
गुरु को नहीं मार सकता हूँ यह मुझसे नहीं होगा |”
अब यहाँ पर अर्जुन श्री कृष्ण से यह कहते हुए
दिख रहे हैं की ध्रितराष्ट्र के पुत्रों को मार कर मुझे क्या मिलेगा, यहाँ पर उस
समय के लोगों के विचार पता चलते हैं जिसमें हर कोई अपने परिवार और खानदान के बारे
में कितना सोच रहा है | महाभारत का हर किरदार आपको कुछ न कुछ सिखाता ज़रूर है जोकि
आज की पीढ़ी में आपको देखने नहीं मिलेगा | अर्जुन इतने पावरफुल होने के बाद भी आज
भी पाप और पुण्य के बारे में सोच रहे है, आज भी उन लोगों के बारे में सोच रहे हैं
जिन्होंने कभी उन्हें सताया था उनके साथ गलत व्यव्हार किया और उन्हें घर से निकल
तक दिया था, फिर भी आज अर्जुन ने एक भी बार यह नहीं सोचा की चलो इन्हें सबक सिखाते
हैं जबकि अर्जुन यदि ऐसा करना चाहते तोह आराम से दुर्योधन को सबक सिखा सकते थे |
मगर आज के लोग ज़रा सी बात पर भाई बहनों में लड़ाई झगड़ा होने लगता है और जीवन भर का रिश्ता ख़तम , मगर अर्जुन यहाँ कहते हैं की इन लोगों को मार कर मुझे अगर कुछ मिला भी तोह भो मुझे स्वीकार नहीं है | अब अर्जुन की इस बात से हमें यह ज्ञान मिलता है की आप के आस पास वाले लोग आपके लिए कितने ज़रूरी हैं और आपके परिवार वाले चाहे कैसे भी हों उनकी जगह कोई भी नहीं ले सकता है और यही बात अर्जुन को पता थी और यहाँ पर वोह यही कृष्ण से कहते हैं की मुझे इन्हें मरने से कुछ नहीं मिलेगे बल्कि मैं तोह सब कुछ खो देने वाला हों |
अर्जुन की इन सभी बातों से हमें अर्जुन का स्वभाव समझ में
अत है जोकि आज कल के युवा में नहीं होता हैं, अर्जुन इतना सब कुछ होते हुए भी अपने
परिवार वालों से प्यार करते थे और उन्हें इस हालत में नहीं देख सकते | आज कल के बच्चे
तोह खुद ही अलग अलग रहना पसंद करते है और एक दुसरे के बीच बटवारा करवा देते है
जिससे मा बाप को बहुत दुःख होता है | जो कुछ अर्जुन के साथ हुआ हमारे साथ तोह वैसे
हुआ भी नहीं फिर भी हम उन सभी लोगों से इतना दुखी हो जाते है की हमें अलग रहना ही
स्वीकार होता है |
अर्जुन के इन शब्दों को सुन कर हमें यह पता चलता
है की अर्जुन परिवार का महत्व समझते थे, और हमें भी वोह समझना चाहिए | अर्जुन
युद्ध और मार पीट के खिलाफ दिखाई दे रहे हैं और हमें भी बिलकुल यही सोच रखनी चाहिए
|
धन्यवाद |
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें