भगवान शिव को विनाशक क्यों कहा जाता है / why lord shiva is called as destroyer

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 आप सब ने कई बार लोगों को कहते हुए सुना होगा की ब्रह्मा जी इस सृष्टि को बनाते है भगवान विष्णु उसकी रखवाली करते है और भगवान शिव उसका अंत करते है और इसी कारण से लोगों ने भगवान शिव को विनाशक का दर्जा दे दिया और सभी लोग उन्हें ऐसा दिखाते है की बस वे सभी चीज़ों को मिटने का ही काम करते है | वोह तोह बहुत दयालु है आशुतोष है जो बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते है, इसलिए यह जानना बहुत ज़रूरी है की उन्हें विनाशक क्यों कहा जात है |  भगवान शिव को विनाशक इस लिए कहा जाता है क्योंकि वोह इस ब्रह्माण्ड का विनाश करेंगे जो की सही है ऐसा होगा मगर ऐसा नहीं है की भगवान शिव को ऐसा करने में मज़ा आता है या फिर उन्हें अच लगता है और इसी काम को करने के लिए उन्हें नियुक्त किया गया है | जब ब्रह्मा जी इस सृष्टि को बना रहे थे तब उन्होंने काफी उर्जा लगा दी थी इसे बनाने में और जब कलियुग ख़तम हो जायेगा और फिर से इस ब्रह्माण्ड को नए सिरे से बनाना पड़ेगा क्योंकि यह दुनिया दुबारा रहने लायक बचागी ही नहीं क्योंकि आप सब को पता है की कोई भी चीज़ हमेशा के लिए नहीं होती | दुनिया में पानी कहातम हो ही चूका है और हवा भी खराब हो चुकी है...

गीता सार हिंदी में / bhagwat geeta in hindi

 

आज मैं आपको गीता का एक बहुत ही ज़रूरी हिस्सा समझाने जा रहा हों | अब बहुत से लोग इन बातों को नहीं मानेंगे मगर मैं आपको समझाने की पूरी कोशिश करोंग और अगर इस कोशिश में यह ब्लॉग थोड़ा लम्बा हो जाये तोह माफ़ कर देना |

जब अर्जुन अपने पितामह और गुरु और भाइयों से युद्ध करने से मन कर देते हैं तोह भगवान उन्हें समझाते हुए कहते हैं की की न कभी ऐसा हुआ है की यह लोग नहीं थे आज से पहले और न कभी ऐसा होगा की यह आज के बाद वापस से नहीं होंगे और कभी भी ऐसा नहीं हुआ की न तुम हो और न मैं हूँ |



अब यहाँ पर भगवान कहते हैं की हम जिन्हें माता पिता कहते हैं भाई बहिन कहते हैं और गुरु कहते है या बाकि इस संसार में जितने भी लोगों से मिलते हैं वोह सभी भगवन के द्वारा बनाये जातें है और उन्ही की मर्ज़ी से यह शरीर त्यागते है | और वापस से अपने कर्मो के मुताबिक एक नया शरीर पाते है | और यदि आचे कर्म करते है तोह उन्हें भगवन में समर्पित हो जाने का अवसर मिलता है | हर आत्मा अपना शरीर समय के साथ बदल लेती है और हमें एक नया शरीर मिलता है और फिर हम दुबारा नया जीवन जीते हैं और नया सम्बन्ध बनाते हैं नया रिश्ता बनाते है |

इसके बाद भगवान कहते हैं की जिस तरह से तुमने अभी मुझसे कहा की मेरा हाथ कांप रहा है मुझे दर लग रहा है यह सभी तुम्हारी इन्द्रियों जिन्हें हम सेंसेस कहते हैं वोह तुम्हारे काबू से बाहर हो गयी है | अगर यह सब तुम्हारे काबू में होते तोह न तोह तुम्हारा हाथ कांपता और नहीं तुम्हे सर्दी और जाड़े का आभास होता | यह सभी भावना नश्वर हैं और समय के साथ ख़तम होने वाली हैं इन्हें त्याग दो |

अब यहाँ पर भगवान ने जो बात कही है वोह हमरी जीवन से बहुत मिलती जुलती है, जैसे हम कोई काम करने से पहले सारी चीज़ों को देखते हैं की हमें गर्मी न लगे उसके लिए पंखा, कूलर, एसी होना चाहिए और अगर जादा लगे तोह बीएड पर बैठ कर ही सरे काम होंगे, बहुत से लोग तोह पूरे जाड़े न जाने कितने दिनों तक नहाते नहीं है यह कहकर की जाड़ा लग रहा है | हम यह नहीं सोचते हैं की इस मौसम में भी कितने मजदूर ऐसे है जोकि अभी भी काम कर रहे है | रात को पढने के समय हमें नींद आने लगती है, सुबह जल्दी उठने से पहले हमें आलास आने लगता है | यह सभी चीज़ें हमारे साथ होती हैं क्योंकि हमने अपने सेंसेस को वश में नहीं किया हुआ है |

इसके बाद भगवान अर्जुन से कहते है की जिसके लिए दुःख, दर्द, ख़ुशी, मज़ा यह सब सामान हैं मतलब कोई ज्यादा ख़ुशी में  भी वैसा ही रहता है और दुःख में भी वैसा ही रहता है उसको कोई दिक्कत नहीं होती है जीवन में और ऐसे हो लोग ज्ञानी कहे गए है |

अब मेरी एक रिक्वेस्ट है आप सभी से की अगर आपको मेरा यह काम पसंद आता है तोह कमेंट में लिखे ज़रूर | मैं आपको इस पूरी दुनिया में जितनी भी सेल्फ इम्प्रूवमेंट बुक्स हैं उन सभी में जो कुछ लिका है वोह भगवद गीता के माध्यम से बताता हों और ऐसी कोई किताब नहीं इस संसार में जो गीता से न निकली हो सभी में गीता का सार है | इसलिए आप भी किसी और किताब को न पढ़े सिर्फ एक गीता को पढ़ कर सभी चीज़ों का ज्ञान आपको मिल जायेगा |

धन्यवाद |

 

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