भगवान शिव को विनाशक क्यों कहा जाता है / why lord shiva is called as destroyer
हम आपको सनातन धर्म से जुड़े सभी बातें और कहानियां बताते हैं जिससे आप सनातन धर्म और इसकी संस्कृति को समझ सके | हमारे ब्लोग्स आपकी मदद करते है खुद को एक बेहतर इंसान बनाने में | हम आपको शास्त्रों और कई किताबों की वोह बातें बताते हैं जो आपको नहीं पता होगी या जिसके पीछे का विज्ञान आप नहीं जानते है |
आप लोगों ने आज कल बहुत से लोगों को यह कहते हुए सुना होगा की माँ काली खून पीती है और मांस भी खाती है | असल में बंगाल में TMC की एक नेता है जिसका नाम महुआ मोहत्त्रा है उसने यह बयां भी दिया था अभी लगभग एक महिना पहले ही की माँ काली खून पीने वाली देवी है | इसके पीछे एक बहुत बड़ी वजह है जो ऐसे नेताओं को पता नहीं और क्या ऐसा सच है की एक देवी जिनकी लोग पूज करते है वोह क्या मांस खा सकती है जबकि इंसानों को ऐसा करना मन है ? आइये जानते है
आप सबने माँ काली की फोटो या मूर्ति देखि ही होगी और उनके हाथ में हमेशा एक सिर कटा हुआ रहता है जिसके नीचे एक कटोरी लगी होती है और उस सिर से उस कटोरी में खून टपकता रहता है, वोह सिर एक राक्षस का है जिसका नाम था रक्तबीज और उसको यह वरदान मिला था की तुम्हारा खून यदि ज़मीन पर गिरा तोह उसके जैसे और पैदा हो जायेंगे और इसी कारण से देवता उसे हरा नहीं पा रहे थे और तब मा कलि ने उसे ख़तम करने की ठानी और इसी लिए वोह उसका रक्त पीती है ताकि वोह फिर से न जनम लेले |
अब बात करते है बलि की , बलि अक्सर वोह लोग चढ़ाते है जो तांत्रिक होते है और बहुत से काली मा के मंदिरों में ऐसे तांत्रिक बैठे होते है और जो लोग माँ काली से कुछ मांगे के उद्देश्य से आते है उन्हें यह तात्रिक लोग यह सिखा देते है की जब तक एक बकरे की बलि नहीं चढाओगे तब तक तुम्हारी इच्छा नहीं पूरी होगी और ऐसे लोग उनकी बात मान भी जातें है और बकरे की बलि चढ़ा भी देते है | कुछ तोह इतने महान होते है की एक नहीं 12 या फिर 11 बकरे की बलि चढ़ाते है | मैं आपको बताना चाहता हों की यह बलि देवी माँ नहीं लेती बल्कि जिन राक्षसों और असुरों को उन्होंने ने वश में किया हुआ है वोह इन सभी चीज़ों को खाते है और जो तात्रिक होते है वोह इन रशासों को खुश करने के लिए ऐसा करते है | माँ काली से इन बालियों का कुछ भी लेना देना नहीं होता है | जो लोग अपनी इच्छा लेकर माँ काली के मंदिर में जातें है उनकी इच्छा यह राक्षस इच्छा पूरी भी कर देते हैं मगर उनकी इक्चयेइओन हमेशा के लिए पूरी नहीं होती , उनकी दिक्कतें वापस आ जाति है |
भगवान श्री कृष्णा भगवत गीता में कहते है की जो राक्षसों की , देवताओं की पूजा करते है उनकी इच्छाएं पूरी तोह हो जाती है मगर हमेशा के लिए ऐसा नहीं होता, लेकिन जो मेरी शरण में आता है मैं उसे हमेशा हमेशा के लिए सुखी कर देता हूँ |
हरे कृष्णा
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