भगवान शिव को विनाशक क्यों कहा जाता है / why lord shiva is called as destroyer

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 आप सब ने कई बार लोगों को कहते हुए सुना होगा की ब्रह्मा जी इस सृष्टि को बनाते है भगवान विष्णु उसकी रखवाली करते है और भगवान शिव उसका अंत करते है और इसी कारण से लोगों ने भगवान शिव को विनाशक का दर्जा दे दिया और सभी लोग उन्हें ऐसा दिखाते है की बस वे सभी चीज़ों को मिटने का ही काम करते है | वोह तोह बहुत दयालु है आशुतोष है जो बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते है, इसलिए यह जानना बहुत ज़रूरी है की उन्हें विनाशक क्यों कहा जात है |  भगवान शिव को विनाशक इस लिए कहा जाता है क्योंकि वोह इस ब्रह्माण्ड का विनाश करेंगे जो की सही है ऐसा होगा मगर ऐसा नहीं है की भगवान शिव को ऐसा करने में मज़ा आता है या फिर उन्हें अच लगता है और इसी काम को करने के लिए उन्हें नियुक्त किया गया है | जब ब्रह्मा जी इस सृष्टि को बना रहे थे तब उन्होंने काफी उर्जा लगा दी थी इसे बनाने में और जब कलियुग ख़तम हो जायेगा और फिर से इस ब्रह्माण्ड को नए सिरे से बनाना पड़ेगा क्योंकि यह दुनिया दुबारा रहने लायक बचागी ही नहीं क्योंकि आप सब को पता है की कोई भी चीज़ हमेशा के लिए नहीं होती | दुनिया में पानी कहातम हो ही चूका है और हवा भी खराब हो चुकी है...

माँ काली को बलि क्यों दी जाती है ?

 आप लोगों ने आज कल बहुत से लोगों को यह कहते हुए सुना होगा की माँ काली खून पीती है और मांस भी खाती है |  असल में बंगाल में TMC  की एक नेता है जिसका नाम महुआ मोहत्त्रा है उसने यह बयां भी दिया था अभी लगभग एक महिना पहले ही की माँ काली खून पीने वाली देवी है | इसके पीछे एक बहुत बड़ी वजह है जो ऐसे नेताओं को पता नहीं और क्या ऐसा सच है की एक देवी जिनकी लोग पूज करते है वोह क्या मांस खा सकती है जबकि इंसानों को ऐसा करना मन है ? आइये जानते है 


आप सबने माँ काली की फोटो या मूर्ति देखि ही होगी और उनके हाथ में हमेशा एक सिर कटा हुआ रहता है जिसके नीचे एक कटोरी लगी होती है और उस सिर से उस कटोरी में खून टपकता रहता है, वोह सिर एक राक्षस का है जिसका नाम था रक्तबीज और उसको यह वरदान मिला था की तुम्हारा खून यदि ज़मीन पर गिरा तोह उसके जैसे और पैदा हो जायेंगे और इसी कारण से देवता उसे हरा नहीं पा रहे थे और तब मा कलि ने उसे ख़तम करने की ठानी और इसी लिए वोह उसका रक्त पीती है ताकि वोह फिर से न जनम लेले | 


अब बात करते है बलि की , बलि अक्सर वोह लोग चढ़ाते है जो तांत्रिक होते है और बहुत से काली मा के मंदिरों में ऐसे तांत्रिक बैठे होते है और जो लोग माँ काली से कुछ मांगे के उद्देश्य से आते है उन्हें यह तात्रिक लोग यह सिखा देते है की जब तक एक बकरे की बलि नहीं चढाओगे तब तक तुम्हारी इच्छा नहीं पूरी होगी और ऐसे लोग उनकी बात मान भी जातें है और बकरे की बलि चढ़ा भी देते है | कुछ तोह इतने महान होते है की एक नहीं 12 या फिर 11 बकरे की बलि चढ़ाते है | मैं आपको बताना चाहता हों की यह बलि देवी माँ नहीं लेती बल्कि जिन राक्षसों और असुरों को उन्होंने ने वश में किया हुआ है वोह इन सभी चीज़ों को खाते है और जो तात्रिक होते है वोह इन रशासों को खुश करने के लिए ऐसा करते है | माँ काली से इन बालियों का कुछ भी लेना देना नहीं होता है | जो लोग अपनी इच्छा लेकर माँ काली के मंदिर में जातें है उनकी इच्छा यह राक्षस इच्छा पूरी भी कर देते हैं मगर उनकी इक्चयेइओन हमेशा के लिए पूरी नहीं होती , उनकी दिक्कतें वापस आ जाति है |

भगवान श्री कृष्णा भगवत गीता में कहते है की जो राक्षसों की , देवताओं की पूजा करते है उनकी इच्छाएं पूरी तोह हो जाती है मगर हमेशा के लिए ऐसा नहीं होता, लेकिन जो मेरी शरण में आता है मैं उसे हमेशा हमेशा के लिए सुखी कर देता हूँ |


हरे कृष्णा 


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