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भगवान शिव को विनाशक क्यों कहा जाता है / why lord shiva is called as destroyer

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 आप सब ने कई बार लोगों को कहते हुए सुना होगा की ब्रह्मा जी इस सृष्टि को बनाते है भगवान विष्णु उसकी रखवाली करते है और भगवान शिव उसका अंत करते है और इसी कारण से लोगों ने भगवान शिव को विनाशक का दर्जा दे दिया और सभी लोग उन्हें ऐसा दिखाते है की बस वे सभी चीज़ों को मिटने का ही काम करते है | वोह तोह बहुत दयालु है आशुतोष है जो बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते है, इसलिए यह जानना बहुत ज़रूरी है की उन्हें विनाशक क्यों कहा जात है |  भगवान शिव को विनाशक इस लिए कहा जाता है क्योंकि वोह इस ब्रह्माण्ड का विनाश करेंगे जो की सही है ऐसा होगा मगर ऐसा नहीं है की भगवान शिव को ऐसा करने में मज़ा आता है या फिर उन्हें अच लगता है और इसी काम को करने के लिए उन्हें नियुक्त किया गया है | जब ब्रह्मा जी इस सृष्टि को बना रहे थे तब उन्होंने काफी उर्जा लगा दी थी इसे बनाने में और जब कलियुग ख़तम हो जायेगा और फिर से इस ब्रह्माण्ड को नए सिरे से बनाना पड़ेगा क्योंकि यह दुनिया दुबारा रहने लायक बचागी ही नहीं क्योंकि आप सब को पता है की कोई भी चीज़ हमेशा के लिए नहीं होती | दुनिया में पानी कहातम हो ही चूका है और हवा भी खराब हो चुकी है...

सबसे बड़ा दान कौन सा होता हैं / what is charity

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  हम सभी कई बार अपने जीवन में यह सोचते है की हमें दान करना चाहिए और एक दुसरे की ज़रुरत मंद लोगों की मदद करनी चाहिए | और कई बार कई लोग ऐसा सुंदर विचार करके इस अछे काम को अंजाम भी देते हैं और कुछ लोग बस अपने मन में इस विचार को टाल देते हैं | और जो लोग ऐसा करते हैं वोह कई बार कुछ लोगों के सामने अपने गुडगाँ करने में लग जातें है की मैंने यह किया मैंने वोह किया और जो कुछ भी आशीर्वाद उन्होंने कमाया होता है वोह भी ख़तम कर लेते हैं | हिन्दू धर्म के शास्त्रों में यह बात साफ़ साफ़ लिखी मिल जाती है की दान करी हुई चीज़ कभी भी बताई नहीं जाती की हमने क्या दान किया और अगर कोई पूछे भी तोह भी उस बात को सबके सामने नहीं लाना चाहिए | लेकिन लोग यह सब नहीं समझते हैं | और कुछ लोगों को दान देने में भी संदेह होता है , की यह चीज़ दान करना सही भी है या नहीं | कहीं इस चीज़ का दान करने से कोई देवता नाराज़ तोह नहीं हो जायेंगे | और यही सब सोच कर वोह बहुत प्रकार के दान नहीं करते हैं | जैसे बहुत से लोग कहते हैं की दूध नहीं दान करना चाहिए और बहुत से लोग यह कहते हैं की गेहूँ नहीं दान करना चाहिए, शनिवार को नहीं दान करना चाह...

गीता सार हिंदी में / bhagwat geeta explanation in hindi

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  मैंने अपने पिछले ब्लॉग में आप सभी को अर्जुन श्री कृष्ण से क्या कह रहे हैं वोह अबताया था और अब आज हम अर्जुन की बैटन में छुपे हुए एक और सच और ज्ञान को समझेंगे | और उससे पहले आप मुझे कमेंट्स भी कर सकते हैं की मुझे और आप सभी के लिए क्या लिखना चाहिए | आईये अब हम सभी गीता को समझते हैं | अर्जुन अपने बात को पूरा करते हुए कहते हैं की             “ध्रितराष्ट्र के पुत्रों को मार कर मुझे क्या मिलेगा और अगर इन्हें मार कर मुझे कुछ मिला भी तोह   भी मैं उसे स्वीकार नहीं करूंगा | मैं उन्हें नहीं मरना चाहता, वे सभी मेरे भाई हैं सामने वाली सेना              में मेरे परिवार वाले हैं यह सभी लोग लालच में और माया में फस कर अंधे हो गए हैं फिर भी मैं   इन्हें नहीं मरना चाहता | मैं अपने पितामह और गुरु को नहीं मार सकता हूँ यह मुझसे नहीं होगा |”   अब यहाँ पर अर्जुन श्री कृष्ण से यह कहते हुए दिख रहे हैं की ध्रितराष्ट्र के पुत्रों को मार कर मुझे क्या मिलेगा, यहाँ पर उस समय...

गीता सार हिंदी में / bhagwat geeta explanation in hindi

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  आज से आप सभी के लिए मैंने एक नयी सीरीज शुरू की है ब्लोग्स की जोकि आपको भगवत गीता के हर श्लोक को आचे से समझायेंगे और इससे आपको बहुत ही ज्यादा अस्सानी हो जाएगी गीता को समझने में | गीता की शुरुआत होती है जब ध्रितराष्ट्र संजय से पूछते है की आखिर उनके बेटे और पांडवों के बेटे युद्ध क्षेत्र में क्या कर रहे है और इसपर संजय उन्हें सारे लोगों के बारे में बताते है जोकि पांडवों और कौरवों की तरफ से युद्ध कर रहे हैं | उसके बाद अर्जुन श्री कृष्ण से कहते है की वोह उनके रथ को यद क्षेत्र के बीच में लेकर जायें ताकि वोह अपने सभी रिश्तेदारों को एक बार देख पाएं | और जैसे श्री कृष्ण ऐसा करतें है वैसे ही अर्जुन भगवान से कहते हैं             हे कृष्ण इन सभी लोगों को देख कर मेरे हाथ पैर कांप रहे हैं और मेरा मुह सूख रहा है             मेरे हाथों से मेरा गाण्डीव छूट रहा है और, मेरे रौंगटे खड़े हो रहे हैं और मैं अपने आपको             स्...